आपका हार्दिक स्वागत है हमारे नए ब्लॉग पोस्ट में, जहां हम आपको लेकर जा रहे हैं Stock Market में Fundamental Analysis की दुनिया में। आपने सही जगह पर आए हैं, अगर आप एक नए निवेशक हैं जो Stock Market को समझने और सफल निवेश करने के लिए Fundamental Analysis की दुनिया में कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं।
Fundamental Analysis के बारे में जानने से पहले आपको ये जानना बहुत जरुरी है की Stock Market क्या होता है और ये कैसे काम करता है |
स्टॉक मार्केट क्या है? !! What Is Stock Market?
अगर आप Stock Market क्या है ये जानना चाहते है तो इसके लिए में पहले ही Blog लिख चुका हूँ | आप इसको जा कर पड़ सकते |
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Fundamental Analysis क्या है !! What Is Fundamental Analysis?
Fundamental Analysis एक निवेशक के लिए एक महत्वपूर्ण और सामरिक उपकरण है जो Stock Market के संदर्भ में Analysis करने का एक विशेष तरीका है। यह वित्तीय सूची, आर्थिक दिशा, और विभिन्न वित्तीय तत्वों का मूल्यांकन करके एक कंपनी के विकास और स्थिति को समझने की कोशिश करता है।
Advantages of Fundamental Analysis:
आज हुम इस ब्लॉग में निवेशकों को Fundamental Analysis का उपयोग करने के क्या लाभ हैं, इसे समझाने का प्रयास करेंगे।
Fundamental Analysis कैसे करे?
Fundamental Analysis करने के लिए आपको कुछ इन स्टैप को follow करना चाहिए
1. Income Statement : ( लाभ और हानि )
- Revenue ( आय ) : कंपनी की कुल आय का विवरण।
सबसे पहले हमे ये पता करना चाहिए कम्पनी ने एक साल में कितने का Revenue किया है अगर आप Short Term के लिए Investment कर रहे हो तो आपको ये भी देखना चाहिए कंपनी ने Quarterly कितना Revenue किये है
- Expenses ( लागत ) : आय की उत्पत्ति में शामिल खर्चों का विवरण।
Revenue चेक करने के बाद ये भी चेक करना बहुत जरुरी होता है की कम्पनी ने 100 रूपए कमाए तो उसके लिए कितने रूपए खर्च किये बहुत सी कंपनी 100 रूपए कमाने के लिए 200 रूपए तक खर्च कर देती है ऐसी कंपनी आगे बहुत ही ज्यादा Loss का सामना करती है वो कंपनी अच्छी होती है जो 100 रूपए कमाने के लिए उस से बहुत कम खर्चा करती है
- Gross Margin ( ग्रॉस मार्जिन ) : आय से लागत कम करके मिलने वाली मुनाफा का प्रतिशत।
Revenue & Expenses चेक करने के बाद आपको देखना चाहिए कंपनी ने कितना Profit कमाया है उसमे जैसे कंपनी ने 100 रूपए का सामान बेचा उसमे से कंपनी ने 20 रूपए कमाए तो हम बोलेंगे कंपनी ने 20% का Profit दिया है
Fixed Income ( निर्धारित आय) :
निर्धारित आय एक महत्वपूर्ण वित्तीय तत्व है जो एक कंपनी की स्थिति और समर्थन का सटीक प्रतिष्ठान देता है। यह आमतौर पर उस धन का हिस्सा है जो कंपनी की आय के लिए आवंटित किया जाता है, लेकिन इसमें विशिष्ट खर्चों को छोड़कर बची हुई राशि को कहा जाता है।
Fixed Income कंपनी के लिए सोने से कम नहीं होती क्युकी कभी कंपनी को नया प्रोजेक्ट पर काम करना है तो कंपनी को बाजार से कर्जा नहीं लेना पड़ेगा इस पैसे का इस्तमाल करके वो कंपनी को आगे ले जा सकते है |
- Benefits To Shareholders ( शेयरहोल्डर्स को लाभ )
हमे ये भी देखना चाहिए कंपनी से कितना % अभी तक Profit में से Shareholders को दिया है क्युकी ये भी कंपनी की ग्रोथ का एक हिस्सा होता है
Shareholders को Profit प्रदान करना Stock Market में किसी भी कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है और यह एक सूचक है कि कंपनी अपने साझेदारों के प्रति जिम्मेदारी निभा रही है। Shareholders को लाभ प्रदान करना कंपनी की सफलता और स्थिति की स्थिरता का सीधा प्रतीक है और इससे उनके बीच भरोसा बढ़ता है।
Balance Sheet ( संतुलन पत्र ):
Balance Sheet एक कंपनी की आर्थिक स्थिति को सूचीबद्ध करने का मुख्य आर्थिक पत्र है, जिसमें उसकी संपत्ति और उधार संरचित होती हैं। यह कंपनी की वित्तीय स्थिति की सारगर्भित जानकारी प्रदान करता है और निवेशकों को साझेदारी में भागीदारी की रूपरेखा प्रदान करता है।
संपत्ति (Assets):
संपत्ति कंपनी की आर्थिक स्वस्थता और स्थिति का मूल्यांकन करने में एक कुंजी है, जो उसके पास सभी संसाधनों का संकलन करती है। संपत्ति विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिनमें से प्रमुख हैं आपूर्ति, स्थायी संपत्ति, और वार्ता संपत्ति।
आपूर्ति (Current Assets):
आपूर्ति कंपनी के वित्तीय पूंजी को मापती है और इसमें उसकी लिक्विड यानी तत्काल उपलब्ध धनराशि शामिल होती है। इसमें नकद, बैंक बैलेंस, यातायात आपूर्ति, और अन्य आपूर्तियां शामिल हो सकती हैं। यह कंपनी की दिनचर्या के कार्यों को सहज बनाए रखने में मदद करती है।
स्थायी संपत्ति (Fixed Assets):
स्थायी संपत्ति उन संसाधनों को दर्शाती है जो कंपनी ने लंबे समय तक उपयोग करने के लिए खरीदा है, जैसे कि भूमि, इमारतें, मशीनरी, और पौधशालाएं। इन्हें सामान्यत: लंबे समय तक बचाया जाता है और इनका मूल्य वर्षों तक बढ़ता है, जो कंपनी की मूल्यवर्धिता को दर्शाता है।
वार्ता संपत्ति (Intangible Assets):
वार्ता संपत्ति कंपनी की अद्वितीयता और योजनाओं को दर्शाती है और इसमें आत्मधिगम का मूल्य, ब्रांड नाम, पेटेंट, और कॉपीराइट शामिल हो सकते हैं। यह संपत्ति कंपनी को उसके प्रतिस्थान में आगे बढ़ने में मदद करती है और अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देती है।
संपत्ति का यह त्रयी एक संपूर्ण परिचय को प्रदान करती है, जो किसी भी कंपनी की आर्थिक स्वस्थता को समझने में मदद करती है और निवेशकों को सही निर्णय लेने में साहायक होती है।
Liabilities ( दायित्व ):
इसमें कंपनी के द्वारा उधार लिए गए सभी राशियों की सूची होती है। इसमें दर्ज किए जाने वाले विभिन्न दायित्व जैसे कि विभाजन, ऋण, और अन्य उधारों का विवरण शामिल हो सकता है। इस से हमे कमपनी के ऊपर कितना रस का कर्जा है ये पता चलता है |
कारपोरेशंस यानी निगमों के लिए शेयरहोल्डर इक्विटी (एसई) को स्टॉकहोल्डर्स इक्विटी भी कहा जाता है और यह ऋण का भुगतान कर दिए जाने के बाद निगम के मालिक का रेजीडुअल क्लेम होता है। शेयरहोल्डर इक्विटी कंपनी की कुल देनदारियों को घटा कर उसकी कुल परिसंपत्तियों के बराबर होती है।
Cash Flow Statement ( नकद निर्वहन पत्र ):
इसमें हमे ये देखने को मिलता है कंपनी के पास जो रूपए कैसे आ रहा है और उसका उपयोग कंपनी कैसे कर रही है और आपको अगर ये लगता है कंपनी गलत तरह से रस का इस्तमाल कर रही है तो ऐसी कंपनी से आपको दूर रहना चाहिए |
लाभ-हानि अनुसंधान (Profit and Loss Analysis):
Profit Margin ( मुनाफे का अंतर ):
आय से लागत कम करके मिलने वाली मुनाफा का प्रतिशत होता है। जैसे Revenue & Expenses चेक करने के बाद आपको देखना चाहिए कंपनी ने कितना Profit कमाया है उसमे जैसे कंपनी ने 100 रूपए का सामान बेचा उसमे से कंपनी ने 20 रूपए कमाए तो हम बोलेंगे कंपनी ने 20% का Profit दिया है |
Shareholders को लाभ प्रदान करना किसी भी कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है और यह न सिर्फ उनकी आत्मविश्वासता को बढ़ाता है, बल्कि कंपनी की सफलता और स्थिति में भी सुधार करता है।
Shareholders को लाभ प्रदान करना उनकी साझेदारी में विश्वास बढ़ाता है और उन्हें अपने निवेश के प्रति आत्मविश्वास की भावना प्रदान करता है। यह कंपनी और उनके बीच एक मजबूत संबंध की नींव रखता है।
Sources of Income ( आय की स्रोतें )
Sources of Income से आपको ये पता चलता है की कंपनी कहा कहा से रूपए कमाती है कंपनी के पास कहा कहा से रूपए आता है |
Managing Costs ( लागतों का प्रबंधन ):
कंपनी कैसे सुनिश्चित कर रही है कि वह लागतें कम करती है। कंपनी की विचारात्मकता कैसे है जब बाजार में लागतें बढ़ रही हैं। तो कंपनी इन सबको कैसे मैनेज करती है |
Valuation Of Investments ( निवेशों का मूल्यांकन )
निवेशों का मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रक्रिया है जिससे निवेशकों को उनके पोर्टफोलियो की मूल्य को समझने में मदद मिलती है। यह प्रक्रिया निवेशों की मूल्य की निर्धारित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करती है, जैसे कि Analytical और Technical Analysis, Cash Flow और Financial Instruments.
How To Take Investment Decision ( निवेश फैसला कैसे लें? )
1. Fundamental Analysis के आधार पर आप स्टॉक का चयन कर सकते हो|
2. निवेश के समय की सही रणनीति ( Right investment timing strategy )
स्टॉक मार्किट में सबसे जरुरी होता है सही टाइम पर Shares को खरीदना और सही Value पर खरीदना इसके लिए आपको Emotion को कण्ट्रोल रख कर सही टाइम का इंतज़ार करना चाहिए जैसे अभी कोई Share 110 रूपए पर Trading कर रहा है और आपको लगता है वो 100 रूपए पर आएगा जब तक वो 100 रूपए के आस पास नहीं आ जाता तब तक आपको इंतज़ार करना चाहिए
3. Risk Management and Margin of Safety ( रिस्क प्रबंधन और मार्जिन ऑफ सेफ्टी )
अगर Risk की बात करे तो सबसे ज्यादा Risk स्टॉक मार्किट में ही होता है इसके लिए आपको ये सोचना चाहिए की आप कितने रूपए तक का Risk और कब तक ले सकते हो | अगर अपने कोई शेयर खरीद लिया तो उसको Fundamental Analysis के आधार पर आपको Profit बुकिंग करके चलना चाहिए |
जैसे अपने आज 100 रूपए का शेयर ख़रीदा और आपको लगता है वो एक महीने में 130 रूपए का हो जायेगा तो आपको हमेशा उसका Fundamental Analysis करते रहना चाहिए और जब वो 130 के आस पास Trading करने लगे तो आपको अपना Profit बुक करना चाहिए
Advice For Investors ( निवेशकों के लिए सलाह )
- निवेश से पहले ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। कंपनी की Fundamental Analysis, उद्यम दर्शकता, और बाजार की पूर्वानुमान रिपोर्टिंग को समझें।
- निवेश का लक्ष्य स्पष्ट रूप से निर्धारित करें। आपके निवेश के लिए स्थायी और अस्थायी लक्ष्यों को समझें।
- अपने पोर्टफोलियो में विविधता बनाएं। एक ही प्रकार के निवेश से बचें ताकि आपकी निवेश सुरक्षित और स्थिर रहे।
- बाजार की स्थिति को नियमित रूप से अपडेट करें। नए समाचारों, आर्थिक रिपोर्ट्स, और बाजार के परिस्थितियों का समीक्षण करें।
- निवेश में रिस्क को समझें और उसे प्रबंधित करने के लिए सही निर्णय लें। अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार रिस्क लें।
- निवेश से संबंधित शिक्षा प्राप्त करें। बुक्स, ऑनलाइन स्रोतें, और स्वयं सिखाएं ताकि आप निवेश की समझ में बढ़ें।
- अगर आप नए निवेशक हैं, तो निवेश विशेषज्ञ से सलाह लेना अच्छा होता है। वह आपकी वित्तीय गतिविधियों को समझने और मार्गदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।
- निवेश को नियमित रूप से निरीक्षण करें और आवश्यकतानुसार पोर्टफोलियो को समीक्षित करें। आधुनिक करंसी, बाजार रुचियों, और आर्थिक चुनौतियों को मध्यस्थ करते रहें।
FAQ:- Fundamental Analysis
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