भारत में रेल परिवहन का सबसे बड़ा साधन है और भारतीय रेल का जाल विश्व में चौथे नंबर पर है. हम सभी आए दिन ट्रेन से सफर करते रहते हैं. कोई अगर रेल से सफर नहीं भी करता हो पर उसने रेलगाड़ी तो एक बार देखी ही होगी. रेलगाड़ी दो प्रकार की होती है एक वह जिसमें यात्री जाते हैं और एक वह जिसमें माल जाता है अर्थात जिसे हम मालगाड़ी कहते हैं. यात्रियों को लेकर जाने वाली रेलगाड़ी में अधिकतम 24 डिब्बे होते हैं. वही मालगाड़ी में इनकी संख्या डबल हो सकती है. मालगाड़ी में लगने वाले डिब्बे सामान ले जाने के हिसाब से होते हैं. माल गाड़ियों में कुछ बोगिया खुली हुई होती है तो कुछ पूरी तरह पेक है जब कभी भी आप स्टेशन पर रेल गाड़ी आती है तब या रास्ते में चलती हुई रेलगाड़ी को देखते हैं तब आपने उसमें एक चीज देखी होगी. यह चीज है उसके साइड में स्टेरिंग जैसा एक गोल गोल पूर्जा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि यह आखिर क्या चीज है हर बोगी पर लगा हुआ है यह स्टेरिंग जैसा आखिर क्या काम आता है. अगर आप इस बारे में नहीं जानते हो, तो हम आपको आज इस खबर में इस स्टेरिंग जैसे चीज के बारे में बता रहे हैं. यह स्टेरिंग जैसे दिखने वाली चीज क्या है और किस काम आती है?
अगर आपने अब तक नहीं देखा है, तो जब भी आप मालगाड़ी को देखें तो उनके डिब्बों के साइड में एक गोल गोल स्टेरिंग जैसा चीज होती है उसको जरूर देखना. यह साइड में हवा में रहता है. आपकी खबर के लिए बता दूं कि यह ना तो जमीन को छूता है और ना ही यह कोई स्टेफनी होती है. बहुत से लोग इसे स्टेफनी मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है. फिर मन में यह सवाल भी उठता है कि यह स्टेफनी नहीं ,है तो आखिर है क्या चीज़? अगर यह स्टेप होती तो एक बार सोचो कि क्या इसके टायर ऐसे हैं?
शुरुआत में जब train चली थी तो किसी भी बोगी में ऐसा कुछ नहीं होता था. मालगाड़ी की किसी भी बोगी में ऐसा स्टेरिंग या चकके जैसा कुछ नहीं लगा होता था. इसके कारण रेलवे को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता था. अर्थात मालगाड़ी को या ट्रेन को एक समतल जगह पर ही खड़ा करना जरूरी था. मालगाड़ी को किसी भी चढ़ाई या ढलान वाली जगह पर खड़ा नहीं कर सकते थे. अगर ऐसा करते तो वह किसी समस्या से कम नहीं होता था. ऐसी जगह पर रोकना किसी खतरे से कम नहीं होता था. ऐसी जगह पर भरी हुई मालगाड़ी के डिब्बों को रोकना बहुत ही मुश्किल होता था. अगर चढ़ाई वाली और ढलान वाली जगह पर रेल गाड़ी को रोक दिया जाता तो यह है पीछे भी जा सकती है. और एक दुर्घटना का कारण बन सकती है.
इस समस्या से निजात पाने के लिए इंजीनियरों ने निकाली ये तरकीब चढ़ाई वाली और ढलान वाली जगह पर रेल को रोकने के लिए इंजीनियरों ने एक तरकीब निकाली. यह गोल स्टेरिंग जैसे दिखने वाला चीज उसी तरकीब का एक नमूना है. इस समस्या से निपटने के लिए इंजीनियरों ने हर बोगी पर एक ऐसा चक्का लगा दिया. यह चक्का ब्रेक का काम करता है. यह रेलगाड़ी का कोई पहिया नहीं होता बल्कि एक लीवर होता है. जिसकी सहायता से बोगियों को एक जगह ही रोका जाता है अर्थात यह स्टेरिंग जैसा चक्का हैंडब्रेक का काम करता है.
जब मालगाड़ी को किसी चढ़ाई या ढलान वाली जगह पर रोकना पड़े. तो इस स्टेरिंग जैसे दिखने वाले चक्के को क्लॉक वाइज घुमा दिया जाता है. क्लॉक वाइज घुमाने से बोगी के सारे पहिए एक जगह जाम हो जाते हैं. जिस कारण यह बोगी पीछे नहीं सरकती और जहां है वहीं रुक जाती है. इस स्टेरिंग की सहायता से उस मालगाड़ी को एक ही जगह स्थिर किया जाता है.