उठो बढ़ो या जब तक नहीं रुको जब तक आपको आपकी मंजिल न मिल जाए

दोस्तो आज में आपको एक ऐसे इंसान की कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसे आपने घर में डिमोटिवेट के शिवाय कुछ नहीं मिला उसे फेमली उसे केबल जॉब के लिए फोर्स करती थी लेकिन उसने अपने जॉब को छोड़ कर अपने दिल की सुनी जी हा दोस्तो में बात कर  रहा हूं महिंद्रा सिंह धोनी की उसी महिंद्रा सिंह धोनी की जब 2005 में 0 पर बाहर हो गया तो सब लोगो ने उसे हर का जिम्मेदार माना और उसके घर पर पत्थर फेके उसके पुताले जलाये लेकिन उसने है सब की परवाह नही की वो अपने प्रैक्टिस में  लगा रहा या फिर 2007 विश्व कप जितने के बाद उन लोगो ने इसी धोनी को अपना हीरो माना है और इस से एक बात सीखने को मिलती है दुनिया की मत सुनो हमें  अपने आप की सुनो या अपने दिल की करो लेकिन हम ये सोचते हैं क्या कहेंगे चार लोग  क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोग क्या कहेंगे लोग हैं ये लोग जब आप मर जाएंगे तो बोलेगे पूरी गर्म देना ऐसे लोगो के लिया क्या जीना अगर जीना है तो अपने सपनों के लिए जिओ या अपने माता पिता का नाम रोशन करो अगर आप गरीब पैदा हुए तो इसमे आपकी गल्ती नहीं है लेकिन अगर आप गरीब मार गए तो इसमे आपकी गल्ती  है इसलिय उठो बढ़ो या जब तक नहीं रुको जब तक आपको आपकी मंजिल न मिल जाए

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